इन पर थी मुखिया के चुनाव की जिम्मेदारी
Arjun Munda
अर्जुन मुंडा- केंद्र सरकार में जनजातीय मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे अर्जुन मुंडा को भारतीय जनता पार्टी ने छत्तीसगढ़ का पर्यवेक्षक बनाया है. अर्जुन मुंडा झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. इनके नाम सबसे कम उम्र में मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड है।
2003 में इन्होंने 35 वर्ष की आयु में मुख्यमंत्री का पद संभाला था. मुंडा ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1980 के दशक की शुरुआत में की थी. जब वे झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के नेतृत्व में झारखंड आंदोलन में शामिल हुए थे, जिसमें बिहार के दक्षिणी क्षेत्रों के आदिवासियों के लिए एक अलग राज्य बनाने की मांग की गई थी।
2009 के संसदीय चुनावों में मुंडा जमशेदपुर निर्वाचन क्षेत्र से 15वीं लोकसभा के लिए चुने गए. भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने एक लोकप्रिय जननेता के रूप में उनकी मजबूत साख और अपने राज्य में पार्टी को मजबूत करने में उनकी महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुए उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया था।
Sarbananda Sonowal
सर्वानंद सोनोवाल- केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी, जलमार्ग एवं आयुष मंत्री सर्वानंद सोनोवाल भी पर्यवेक्षकों के पैनल में शामिल हैं. सोनोवाल असम के पूर्व मुख्यमंत्री भी रहे हैं. इस लिहाज से भी उन्हें ये जिम्मेदारी दी गई है. इन्हें पूर्वोत्तर में भाजपा सरकार बनाने का अगुवा माना जाता है. सोनोवाल वर्ष 2012 और 2014 में दो बार असम भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष रह चुके हैं. 2014 में संपन्न 16वें लोकसभा के चुनाव में वे लखीमपुर से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में निर्वाचित हुए।
इसके बाद केंद्रीय मंत्रीमंडल में उन्हें खेल एवं युवा मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत खेल एवं युवा मामलों के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का पद दिया गया था. केंद्रीय खेल मंत्री के रूप में इनका कार्यकाल 26 मई 2014 से 23 मई 2016 तक रहा।
Dushyant Kumar Gautam
दुष्यंत कुमार गौतम- संगठन का लंबा अनुभव रखने वाले भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार को भी पार्टी ने पर्यवेक्षक का दायित्व सौंपा है. वे हरियाणा से राज्यसभा सांसद भी रहे हैं।
इस तरह इनके राजनीतिक और संगठनात्मक अनुभव को देखते हुए हुए इन्हें छत्तीसगढ़ में सीएम की तलाश की जिम्मेदारी दी गई है. इसके अलावा वे भाजपा संगठन के अलग-अलग पदों पर रह चुके हैं. दुष्यंत गौतम दिल्ली विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं. छात्र राजनीति में सक्रिय रहे दुष्यंत गौतम अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े और पढ़ाई खत्म करके मंडल अध्यक्ष बने. वहीं तीन बार वे भाजपा अनुसूचित मोर्चा के अध्यक्ष रहे।
1997 में पहली बार जिला पार्षद का चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था. अटल बिहारी वाजपेयी के आदर्श को अपनाकर दुष्यंत गौतम ने राजनीतिक जीवन में काम किया. साथ ही उन्होंने चुनावी राजनीति की जगह संगठन में काम करने पर जोर दिय।.
5 साल के गैप के बाद भाजपा की वापसी
छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी ने बंपर जीत हासिल की है. 2018 की तुलना में भाजपा ने अपना प्रदर्शन सुधारते हुए प्रदेश की सत्ता में वापसी की. 54 सीटों के साथ बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में सरकार बनाई है. वहीं कांग्रेस 68 सीट से लुढ़ककर महज 35 सीटों तक ही सिमटकर रह गई. वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने 1 सीट पर कब्जा किया है।
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अपना किमती समय देने के लिये
धन्यवाद