हैदराबाद। आंध्र प्रदेश में कोरोना वायरस को लेकर एक बेहद अजीब मामला सामने आया है। यहां 42 साल के एक शख्स की मौत पर हैदराबाद गांधी हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज (GHMC) अथॉरिटी और मृतक के परिवार के बीच विवाद शुरू हो गया है। जहां उस शख्स की पत्नी अपने पति के शव को गुमशुदा बता रही है, वहीं हॉस्पिटल का कहना है कि परिवार को मौत की जानकारी देकर अंतिम संस्कार तक कराया जा चुका है।
पिछले हफ्ते 16 मई को अलमपल्ली माधवी और उनके दो बच्चों को कोविड-19 का इलाज करने के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया था। इसी अस्पताल में उनके पति भी भर्ती थे। डिस्चार्ज होने पर अलमपल्ली ने अपने पति के बारे में जानकारी चाही तो उन्हें हॉस्पिटल अथॉरिटी की ओर से बताया गया कि उनके पति वेंटिलेटर पर हैं। हालांकि, थोड़े दिन गुजरने के बाद अस्पताल ने उनके सवालों पर ध्यान देना बंद कर दिया, जिसके बाद उन्हें अपने पति के गुमशुदा होने पर भरोसा हो गया।
अलमपल्ली ने बुधवार को मदद के लिए तेलंगाना के मंत्री केटी रामा राव को ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा, ‘हैलो केटी रामा राव, मेरा नाम माधवी और मेरे पति का नाम मधुसूदन (42) है। मैं वनस्थलीपुरम में अपने दो बच्चों के साथ रहती हूं. मेरे परिवार के सदस्य कोरोनावायरस से संक्रमित होने पर गांधी हॉस्पिटल में भर्ती थे। डिस्चार्ज होने के बाद हम सब वापस आ गए है, लेकिन मेरे पति नहीं।
अलमपल्ली ने बताया कि मधुसूदन को पहले किंग कोटि हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जिसके बाद 30 अप्रैल को उन्हें GHMC में शिफ्ट कर दिया गया। उन्हें जानकारी दी गई कि 1 मई को उनके पति की मौत हो गई है थी। इसके बाद GHMC के सुपरिटेंडेंट की ओर से स्प्ष्टीकरण आया है कि मधुसूदन को 30 अप्रैल को ही अस्पताल में भर्ती कराया गया था और 1 मई को उनकी मौत हो गई थी।
उन्होंने कहा कि इसके बाद जो भी प्रक्रिया जरूरी होती है उसका पालन किया गया था, जिसके तहत परिवारवालों को इसकी जानकारी दी गई थी और हॉस्पिटल अथॉरिटी की से शव का दाह संस्कार कर दिया गया था। हालांकि यहां पर माधवी का कहना है कि उन्हें पति के मौत की जानकारी नहीं दी गई थी और दाह संस्कार से पहले भी उनसे कोई इजाजत नहीं ली गई।उनका यह भी कहना है कि परिवार के किसी अन्य सदस्य को भी इसकी जानकारी नहीं दी गई थी।
अब उनकी मांग है कि उन्हें दाह संस्कार का सबूत और उनके पति की बची हुई चीजें दी जाएं। GHMC के सुपरिटेंडेंट की ओर से जारी किए गए एक बयान में बताया गया है कि मधुसूदन को कोविड-19 के संक्रमण के चलते न्यूमोनिया और श्वसन संबंधी गंभीर समस्याएं हो गई थीं, जिसके चलते उनकी जान चली गई। उन्होंने बताया कि आमतौर पर अगर परिवार अतिंम संस्कार के लिए उपलब्ध नहीं होता तो हॉस्पिटल ही ये प्रक्रिया पूरी करता है।
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बता दें कि मधुसूदन के छोटे भाई को कोविड-19 का संक्रमण हुआ था, जिस दौरान उनके परिवार के सदस्या उनसे अस्पताल मिलने गए थे. इससे परिवार के 15 लोग कोरोनावायरस के संक्रमण के चपेट में आ गए।
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