बड़ी खबर: अब चीन के झांसे में नहीं आएगा भारत, कपकपाती सर्दी में भी अंगद की तरह लद्दाख में पैर जमाए रहेंगे इंडियन आर्मी के जवान

Big news: now India will not come under the guise of China, Indian Army soldiers will keep their feet in Ladakh like Angad in winter

 


 

नई दिल्ली। चीन की चालबाजी को देखते हुए भारत अब लद्दाख से अपनी नजरें नहीं हटाएगा और सर्दी में सुरक्षा बलों की तैनाती को लेकर अभी से ही कवायदें तेज कर दी हैं। भीषण सर्दी में भी अब भारतीय सेना के जवान चीनी सेना के मंसूबे को ध्वस्त करने की तैयारी में लग गए हैं। चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने लद्दाख सेक्टर में अप्रैल के अंत में वास्तविक नियंत्रण रेखा से थोड़ा आगे बढ़कर अपना डेरा जमाया था और अब उन्होंने वहां अपने पैर जमा लिए हैं।

 

भारतीय सेना चीन के साथ हुए विवाद को दोहराना नहीं चाहती

 

भारतीय सेना चीन के साथ हुए विवाद को दोहराना नहीं चाहती इसलिए वो लद्दाख में लंबी सर्दियों की तैयारी में लग गई है। उच्च सरकारी अधिकारियों ने पुष्टि की है कि भारतीय सेना ने अमेरिका, रूस और यूरोप के दूतावासों में तैनात अपने रक्षा सहयोगियों को गर्म कपड़ें और स्नो टेंट निर्माताओं की पहचान करने के लिए कहा है ताकि आपातकालीन स्थिति में उन्हें खरीदा जा सके।

 

विशेष क्षेत्रों में अपने पदों पर रहना होगा

 

 

1984 में सियाचिन में हुए आॅपरेशन मेघदूत के बाद भारतीय सेना पश्चिमी क्षेत्र में ऊंचाइयों पर पहुंचने वाले सैनिकों के लिए इग्लू, अर्ध-गोलार्ध के गुंबदों, डाउन पार्कों, बर्फ के चश्मे, जूते और दस्ताने जैसी जरूरतों को स्थानीय निमार्ताओं द्वारा ही पूरी करती आई है। भारतीय सेना ने लद्दाख सेक्टर में चीनी सेना के बराबर ही सैन्य शक्ति और समर्थन तत्वों की नियुक्ति की है लेकिन भारतीय कमांडरों ने हाल ही में 35,000 से अधिक सैनिकों के शामिल होने की रिपोर्टों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। हालांकि सैन्य कमांडरों ने साफ कहा है कि अगले साल पीएलए की तरह की आक्रामकता को रोकने के लिए उन्हें एलएसी के विशेष क्षेत्रों में अपने पदों पर रहना होगा।

 

चीन पर नहीं भरोसा

 

एक सैन्य कमांडर ने कहा, “पीएलए आक्रामकता के बाद हम चीन पर बिल्कुल भरोसा नहीं करते हैं और हमें लगता है कि 2021 में गर्मियों के आते ही वे पैंगोंग त्सो के उत्तर में फिर से आ जाएंगे।” लद्दाख की ठंड और शुष्क जलावायु देखते हुए लग रहा है कि गश्त लगाने वाले सामान्य क्षेत्र 15, 16 या 17 पॉइंट्स पर ज्यादा बर्फ नहीं होगी लेकिन 17,000 फीट से ऊपर चांग ला नाम का इलाका बर्फ से ढक जाता है और ये इलाका पैंगोंग त्सो जाने के रास्ते में आता है।

 

दिए जाएंगे जरूरत की सामाग्री

 

कमांडर ने बताया “सर्दियों के कपड़ों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हमने न केवल घरेलू निर्माताओं को आॅर्डर दिए हैं बल्कि साल्टोरो रिज और सियाचिन ग्लेशियर पर तैनात सैनिकों को भी बर्फ के कपड़ों को देने के लिए कहा है। उदाहरण के लिए पाटार्पुर और थोईस में सैनिकों को भी सियाचिन में तैनात सैनिको? की तरह गर्म कपड़ों की जरूरत है, दोनों जगहों की ऊंचाई लेह जितनी ही है। लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो सबसे खराब स्थिति में हम पाटार्पुर और थोईस में तैनात सैनिको से कब्जे वाले अक्साई चिन मोर्चे पर तैनात सैनिको के लिए जैकेट, पतलून, दस्ताने, जूते और काले चश्मे छोड़ने के लिए कहेंगे।”

 

एक छोटी-सी चिंगारी बड़ी आग को दे सकती है जन्म

 

भारतीय सेना के कमांडर ने कहा, “लद्दाख सेक्टर में पीएलए की आक्रामकता ने दोनों सेनाओं के बीच इतना अविश्वास पैदा कर दिया है कि दोनों सेनाएं 3,488 किलोमीटर की एलएसी में अपने चुनिंदा स्थानों पर सेना को रखेंगे। सैनिक कमांडर ने बताया, सभी शांतिपूर्ण बातचीत के बावजूद भी हमने चीनी आक्रमकता देखी। दोनों देशों के लिए जरूरी है कि वो बॉर्डर के इस मसले को सुलझा दे क्योंकि एलएसी पर टकराव बढ़ता जा रहा है और यहां तक की एक छोटी-सी चिंगारी बड़ी आग को जन्म दे सकती है। भारतीय सेना लगातार अपने इलाकों में गश्त लगा रही है और अपनी जमीन के एक-एक इंच की रक्षा करेगी।”

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