भारत के खेतों को अफ्रीका से पलायन करने वाले लाखों टिड्डों के एक बड़े खतरे का सामना करना पड़ रहा है और उन्हें राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में देखा गया है। रेगिस्तानी टिड्डे छोटे सींग वाले टिड्डे की लगभग एक दर्जन प्रजातियों में से एक है। वे इस तरह से अनूठे हैं कि वे अपने व्यवहार को बदल देते हैं – जैसे शांत से भयानक हो जाना या एक झुंड में एकत्र होकर एक साथ भोजन के लिए चारा बना लेना।
भारत में इस समय टिड्डी से प्रभावित इलाके
इस समय
ये टिड्डियां राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती
क्षेत्रों में चली गई हैं। वे वहां से दूसरे राज्यों में फैलने से पहले
पाकिस्तान से पंजाब के फाजिल्का चली गई। टिड्डियों से सबसे ज्यादा प्रभावित
जिले बाड़मेर, जैसलमेर और नागौर हैं।
क्या इन्हें नियंत्रित किया जा सकता है?
ये एक दिन
में 150 किमी तक उड़ सकते हैं, जिससे उन्हें नियंत्रित करना मुश्किल हो
जाता है। टिड्ड स्वार्म्स बहुत बड़े क्षेत्रों को कवर कर सकते हैं, जो
कभी-कभी अत्यंत दूरस्थ हो सकते हैं। पारंपरिक रसायनों का उपयोग उनकी संख्या
को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
कहां उत्पन्न होती हैं ये टिड्डियां?
यह टिड्डियां
अफ्रीका में उत्पन्न होती हैं, जहां अधिक बारिश से इनके प्रजनन में तेजी
आती। भारतीय विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में प्रवेश करने वाले झुंड के पास
अब बलूचिस्तान, ईरानऔर पाकिस्तान में प्रजनन के बाद की संख्या थी।
हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के प्रवक्ता ने जानकारी दी थी कि पाकिस्तान से टिड्डियां दल राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश में प्रवेश कर गई हैं। इससे कपास की फसलों और सब्जियों को बड़ी क्षति हुई है।
राजस्थान सबसे अधिक प्रभावित राज्य है। संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एवं कृषि एजेंसी के एक शीर्ष अधिकारी ने आगाह किया कि आजीविका और खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाले मरुस्थलीय टिड्डियों का दल अगले महीने पूर्वी अफ्रीका से भारत और पाकिस्तान की ओर बढ़ सकते हैं और उनके साथ अन्य कीड़ों के झुंड भी आ सकते है।
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अपना किमती समय देने के लिये
धन्यवाद