देखें तस्वीर : रामलला की पहली तस्वीर आई सामने, लड्डू से लेकर सिक्के तक सब तैयारियां पूरी, थोड़ी ही देर में रचा जाएगा इतिहास

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 अयोध्या । राम मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन से पहले रामलला की तस्वीर सामने आ चुकी है। राम मंदिर के भूमि पूजन के लिए अयोध्या तैयार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुबह 11.30 बजे अयोध्या पहुंचेंगे। भूमि पूजन का शुभ मुहूर्त 12.44 बजे है। इसके लिए सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं।

 

 

राम जन्मभूमि परिसर और आसपास के इलाके को रेड जोन घोषित कर दिया गया है। राम जन्मभूमि परिसर में सुरक्षा व्यवस्था की कमान एसपीजी ने संभाल ली है। सुरक्षा के लिहाज से सेक्यूरिटी कोड से एंट्री का प्रबंध किया गया है। अयोध्या में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। चप्पे चप्पे पर सुरक्षाकर्मी तैनात हैं।

अयोध्या की सीमा में आने वाली हर गाड़ी की जांच की जा रही है। प्रशासन ने अयोध्या के सभी एंट्री पॉइंट सील कर दिए हैं। बिना पास के किसी शहर को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है।पूरी अयोध्या राममय हो गई। हर तरफ राम नाम के कीर्तन हो रहे हैं। इसके अलावा रात में घाटों पर दीप जलाए गए।

 

 

 

पूरी अयोध्या गुलाबी और पीली रोशनी में जगमग नजर आई।पूरा कार्यक्रम सोशल डिस्टेंसिंग के साथ होगा। पीएम मोदी के साथ मंच पर भी सीमित लोग होंगे। इनमें उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, संघ प्रमुख मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ होंगे।

राम मंदिर के भूमि पूजन में शामिल होने वाले सभी मेहमानों को एक चांदी का सिक्का भेंट किया जाएगा। इसमें रामदरबार छपा है। इसके अलावा मेहमानों के लिए लड्डू भी बनाए गए हैं। सभी लोगों को स्टील के टिफिन में रखकर लड्डुओं का प्रसाद दिया जाएगा।

 

 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुली मंदिर निर्माण की राह

 सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाया था। 5 जजों की बेंच ने रामलला को विवादित जमीन का मालिकाना हक दिया था। साथ ही मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन वक्फ बोर्ड को देने के लिए भी कहा था। इस ऐतिहासिक फैसले से ही राम मंदिर के निर्माण की राह आसान हुई थी।

देश का सबसे पुराना विवाद

 राम मंदिर-बाबरी मस्जिद देश का सबसे पुराना विवाद रहा है। 1528 में अयोध्या में बाबर ने मस्जिद बनाई थी। इसे लेकर 1813 में पहली बार विवाद हुआ। इसके बाद यह मुद्दा पहली 1813 में उठा। 1885 में पहली बार किसी कोर्ट में पहुंचा। 2009 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया। 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर का मालिकाना हक रामलला को दिया।

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