छत्तीसगढ़ नगरीय निकाय चुनाव: देवकर नगर पंचायत में ‘दुखी आत्मा पार्टी’ की ऐतिहासिक जीत, भाजपा-कांग्रेस को बड़ा झटका
Devkar Nagar Panchayat: Historical victory of Dukhi Atma Party, a big blow to BJP and Congress
पारंपरिक दलों से नाराजगी बनी जीत की वजह
देवकर नगर पंचायत में जनता भाजपा और कांग्रेस की कार्यशैली से नाखुश थी, जिसके चलते उन्होंने अपने समर्थन से ‘दुखी आत्मा पार्टी’ को नगर पंचायत की कमान सौंप दी। न सिर्फ अध्यक्ष पद पर, बल्कि वार्ड स्तर पर भी इस पार्टी ने प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज कराई।
चुनाव परिणाम: भाजपा-कांग्रेस को करारी शिकस्त
- ‘दुखी आत्मा पार्टी’ के सुरेश सिहौरे – 1977 वोट (विजयी)
- भाजपा प्रत्याशी अजय अग्रवाल – 1595 वोट
- कांग्रेस प्रत्याशी बिहारी जैयत्रीं साहू – 639 वोट
इस जीत ने वर्षों से प्रभावी कांग्रेस को 1300 वोटों और भाजपा को 382 वोटों से पीछे छोड़ते हुए सत्ता से बाहर कर दिया।
वोटिंग ट्रेंड और समीकरण
देवकर नगर पंचायत में कुल 5511 मतदाता हैं, जिनमें से 4365 लोगों ने मतदान किया। शुरूआती रुझानों से ही स्पष्ट हो गया था कि कांग्रेस मुकाबले से बाहर हो चुकी है और असली टक्कर भाजपा और सुरेश सिहौरे के बीच थी।
वार्ड-स्तरीय नतीजे:
- 08 वार्डों में भाजपा को जीत
- 06 वार्डों में कांग्रेस को सफलता
- 01 वार्ड निर्दलीय प्रत्याशी के पक्ष में
‘दुखी आत्मा पार्टी’ की जीत के प्रमुख कारण
- प्रभावी घोषणापत्र – पार्टी ने पानी टैक्स, घर-दुकान टैक्स माफी और मुफ्त राशन जैसी योजनाओं का वादा किया था।
- भाजपा-कांग्रेस से नाराजगी – जनता, दोनों राष्ट्रीय दलों की कार्यशैली से असंतुष्ट थी।
- कांग्रेस का प्रत्याशी चयन विवाद – सामान्य सीट होने के बावजूद कांग्रेस ने पिछड़ा वर्ग के प्रत्याशी को मैदान में उतारा, जिससे मतदाताओं में असंतोष फैल गया।
आगे की रणनीति:
अब सभी की निगाहें नवनिर्वाचित अध्यक्ष सुरेश सिहौरे पर टिकी हैं कि वे अपनी घोषणाओं को कैसे पूरा करेंगे और नगर पंचायत में किस तरह बदलाव लाएंगे।
छत्तीसगढ़ में चुनावी माहौल:
- भानुप्रतापपुर और पखांजूर में भाजपा ने नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर जीत दर्ज की।
- सूरजपुर नगर पालिका में कांग्रेस ने बाज़ी मारी।
- मुख्यमंत्री के क्षेत्र कुनकुरी में कांग्रेस प्रत्याशी विनय शील ने भाजपा के सुतबल यादव को हराया।
- 10 नगर निगमों में भाजपा को बढ़त हासिल।
छत्तीसगढ़ के इस चुनावी परिणाम ने संकेत दे दिया है कि जनता अब पारंपरिक दलों के बजाय नए राजनीतिक विकल्पों की ओर रुख कर रही है।
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अपना किमती समय देने के लिये
धन्यवाद