नई दिल्ली: दुनिया में महामारी फैलाने वाले कोरोना वायरस का अंत अब नजदीक आ रहा है। विश्व में कई देशों के वैज्ञानिक इसका तोड़ ढूंढ़ने में लगे हैं और कुछ को कामयाबी भी हासिल हो रही है। ऐसी ही एक खबर यूरोप से सामने आई है, जहां के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी स्पेशल एंटीबॉडी खोजने का दावा किया है, जो कोरोना को शरीर में फैलने से रोक सकती है। इस खास एंटीबॉडी से कोरोना के मरीजों का तुरंत इलाज संभव हो सकेगा।
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ये एंटबॉडी कोरोना वायरस से चिपकती है और उसकी कंटीली परत को तोड़ती है। कंटीली परत टूटते ही कोरोना कमजोर होने लगता है और इससे कोरोना का संक्रमण शरीर में तेजी से नहीं फैल पाता।
यूरोप के वैज्ञानिकों ने चूहों में पाए जाने वाली 51 सेल लाइंस कोशिकाओं में इस एंटीबॉडी को खोजा, जिसके बाद इसे मनुष्य के लिए जेनेटिकली इंजीनियर किया। इसके बाद एंटीबॉडी का टेस्ट सार्स कोरोना वायरस पर किया गया।
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वैज्ञानिकों का दावा
वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में चूहे को कोरोना वायरस से संक्रमित कराया। वायरस के चूहे में दाखिर होते ही 51 तरह की एंटीबॉडी निकलनी शुरू हो गयी। इसी से निकली 47D11 एंटीबॉडी जो कोरोना वायरस के बाहरी और कंटीले हिस्से को नष्ट कर रही थी। मतलब, ये एंटीबॉडी कोरोना को दांत तोड़ देगी, जिससे उसके हमले की क्षमता कम हो जाएगी। हालांकि अभी तक 47D11 नाम की एंटीबॉडी का क्लीनिकल ट्रायल नहीं हुआ है। मतलब, नीदरलैंड की यूट्रेच यूनिवर्सिटी के दावों का प्रयोगशाला के बाद जमीन पर टेस्ट होना बाकी है।
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कोरोना के शिकारों में सबसे ज्यादा बुजुर्ग या अधिक उम्रवाले लोग हैं। दुनियाभर में कोरोना से जूझ रहे 80% मरीजों की उम्र 65 साल से ज्यादा है। मौत का आंकड़ा भी बुजुर्गों का कई गुना ज्यादा है। क्योंकि, बढ़ती उम्र के साथ शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। ऐसे में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया है कि बुजुर्गों का इम्यून सिस्टम सुधारने के लिए एंटी एजिंग सप्लीमेंट्स दिए जा सकते हैं।
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हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के मुताबिक, नौजवानों में प्रतिरोधक कोशिकाएं सांस नली में कोरोना के दाखिल होते ही उसे पहचान लेती हैं और कोरोना से युद्ध शुरू कर देती हैं। लेकिन, बुजुर्गों के मामले में ऐसा नहीं होता है। बुजुर्गों की कमजोर प्रतिरोधक कोशिकाएं एक तो शुरुआती दौर में ही कोरोना की पहचान नहीं कर पाती हैं। जबतक पहचान करती है, तबतक कोरोना तेजी से शरीर के दूसरे अंगों तक फैल जाता है। ऐसे में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की सलाह है कि बुजुर्गों को एंटी एजिंग सप्लीमेंट्स देकर कोरोना का इलाज किया जा सकता है।
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