अध्ययन के मुताबिक, टीके की एक खुराक फेफड़ों और उन अंगों को होने वाले नुकसान से बचा सकती है जिन पर वायरस गंभीर प्रभाव डाल सकता है। अध्ययन के लेखकों ने कहा “सीएचएडीऑक्स1 एनसीओवी-19 के साथ दिए गए एक टीके ने रीसस मैकेक्यू में प्रतिरोधी तंत्र ने द्रव एवं कोशिका संबंधी प्रतिक्रिया दर्शाई है। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि कोरोना वायरस के अत्यधिक स्तर से संपर्क कराने के बाद भी टीका लेने वाले छह में से किसी भी बंदर को वायरल निमोनिया नहीं हुआ।
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अध्ययन के मुताबिक, टीके की एक खुराक फेफड़ों और उन अंगों को होने वाले नुकसान से बचा सकती है जिन पर वायरस गंभीर प्रभाव डाल सकता है। अध्ययन के लेखकों ने कहा “सीएचएडीऑक्स1 एनसीओवी-19 के साथ दिए गए एक टीके ने रीसस मैकेक्यू में प्रतिरोधी तंत्र ने द्रव एवं कोशिका संबंधी प्रतिक्रिया दर्शाई है। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि कोरोना वायरस के अत्यधिक स्तर से संपर्क कराने के बाद भी टीका लेने वाले छह में से किसी भी बंदर को वायरल निमोनिया नहीं हुआ।
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इसके अलावा ऐसे भी कोई संकेत नहीं मिले कि टीके ने जानवरों को कमजोर बना दिया हो। इस उपलब्धि को उस टीके के लिए सकारात्मक संकेत माना गया है जिसका फिलहाल मानवों पर परीक्षण किया जा रहा है लेकिन विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि यह देखना होगा कि यह मनुष्यों में भी इतना ही प्रभावी है या नहीं।
किंग्स कॉलेज लंदन के फार्मास्यूटिकल मेडिसिन की विजिटिंग प्रोफेसर डॉ पेनी वार्डा ने कहा कि ये परिणाम मनुष्यों पर जारी टीके के परीक्षण को समर्थन देते हैं, जिनके परिणामों का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। अनुसंधान की अगुवाई कर रहीं, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में टीका विज्ञान की प्राध्यापिका साराह गिलबर्ट ने पूर्व में कहा था कि उन्हें इस टीके की सफलता में अत्यधिक विश्वास है।
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