अयोध्या । राम मंदिर भूमिपूजन को लेकर पूरे देश में राम नाम की लहर है। अयोध्या में तैयारियां जोरों पर है। कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूमिपूजन कर मंदिर की पहली नींव रखने जा रहे हैं। राम जन्मभूमि अपने आप में ऐतिहासिक है। इसे स्वर्णिम रूप देने के लिए देश के प्रमुख जगहों से मंदिर निर्माण के दौरान इस्तेमाल में लाए जाने वाली सामाग्रियां मंगाई गई है।
राम मंदिर निर्माण के लिए जिन पत्थरों को चुना गया है वह राजस्थान से मंगाए गए हैं। इसके मद्देनजर राज्य के भरतपुर जिले के बयाना में पत्थरों की कटाई छटाई भी तेज हो गई है। इतना ही नहीं इससे पहले भी भरतपुर से काफी मात्रा में राम मंदिर निर्माण के लिए पत्थर अयोध्या आ चुका है।
अच्छी मानी जाती है गुणवत्ता
बंशी पहाड़पुर के पत्थरों को मंदिर निर्माण के लिए चुना गया है। ऐसा माना जाता है कि यहां के पत्थरों की गुणवत्ता काफी अच्छी होती है। भरतपुर के रुदावल क्षेत्र के बंशी पहाड़पुर के पत्थरों का इस्तेमाल पहले भी कई प्राचीन इमारतों के निर्माण कार्य में इस्तेमाल हो चुका है।
5 हजार साल होती है उम्र
ऐसा माना जाता है कि बंशी पहाड़पुर से निकलने वाले पत्थर की उम्र करीब 5000 साल होती है। इन पत्थरों पर पानी पड़ने से यह और ज्यादा निखर जाता है और हजारों वर्षों तक एक रूप में ही कायम रहता है। राम मंदिर निर्माण के लिए 4 घन फुट पत्थर की जरूरत है। इसे लेकर यहा के लोगों में भी काफी खुशी है। इसके साथ ही पत्थर की नक्काशी करने वाले कारीगर भी काफी खुश हैं, क्योंकि उनके द्वारा बनाये जाने वाले पत्थर राम मंदिर बनाए जाने में इस्तेमाल होंगे।
1990 में भी हुई थी काफी चर्चा
भरतपुर जिला मुख्यालय से करीब 55 किलोमीटर दूर बयाना उपखंड स्थित बंशी पहाड़पुर क्षेत्र में चारों तरफ पहाड़ियां हैं। जिसमें से लाल पत्थर निकलता है। इस पत्थर से देश की ज्यादातर ऐतिहासिक इमारतें बनाई गई हैं। यहां से राम मंदिर निर्माण के लिए कई वर्षों से पत्थर ले जाने का काम जारी है। साल 1990 में अयोध्या आंदोलन के दौरान भी बंशी पहाड़पुर काफी चर्चा में रहा था, क्योंकि राम शिला पूजन के लिए ”श्री राम” लिखी विशेष प्रकार की ईंटों का निर्माण भी यहीं से कराया गया था।
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अपना किमती समय देने के लिये
धन्यवाद