राम नाम पर राजनीति खत्म, अब परशुराम पर सियासत शुरू

ParshuRam Politics

 प्रयागराज । लंबे समय से देश की राजनीति में अहम मुद्दा बने राम मंदिर का हल तो निकल गया… और तो और भूमिपूजन के बाद मंदिर निर्माण की कवायद भी शुरू हो गई… भगवान राम की जन्मभूमि पर भूमिपूजन के बाद अब राजनीति खत्म हो गई या समय-समय पर बयानबाजी चलती रहेगी ये तो नहीं पता… लेकिन इतना जरूर है कि प्रतिमा निर्माण को लेकर एक और मुद्दा सियासत की रंग में रंगने लगा है।

 

पिछले कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों को लेकर राजनीति तेज हो गई है… ब्राह्मणों के अराध्य माने जाने वाले भगवान परशुराम को लेकर पार्टियां राजनीतिक बिसात बिछाने में लगी हैं… इस कड़ी में पहले समाजवादी पार्टी ने भगवान परशुराम की मूर्ति बनाने की बात कही, जिस पर बसपा प्रमुख मायावती ने सपा पर राजनीति का आरोप लगाया।

 

parashuram statue in lucknow: लखनऊ में 108 फुट की ...

 

मायावती भी पीछे नहीं…

 

हालांकि, मायावती ने भी वही राजनीतिक वादा किया जो सपा कर रही थी…. मायावती ने कहा कि बसपा सरकार बनने पर भगवान परशुराम की सपा की तुलना में बड़ी मूर्ति लगाई जाएगी… साथ ही मायावती ने कहा सभी धर्मों और संप्रदायों के महापुरुषों का सम्मान करते हुए सरकार आने पर बसपा उनके नाम से योजनाएं और जनसुविधाएं उपलब्ध करवाएगी…

 

यूपी में परशुराम की प्रतिमा पर ...

 

अखाड़ा परिषद नाराज

 

वहीं भगवान परशुराम पर हो रही सियासत पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने कड़ी नाराजगी जताई है… परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने कहा कि यह अवतारी महापुरुषों को जातियों में बांटने की साजिश है, जो कि गलत है… उन्होंने कहा कि राजनेता सनातन धर्म और हिंदू समाज को कमजोर करने की साजिश कर रहे हैं।

 

भगवान परशुराम पर हो रही सियासत पर ...

 

नरेंद्र गिरी ने कहा “महर्षि परशुराम भगवान विष्णु के अवतार हैं… वे सभी के अराध्य हैं… अखाड़ा परिषद विघटनकारी ताकतों का विरोध करेगा… इस बारे में अखाड़ा परिषद अभियान चलाएगा….लोगों से अपील है कि वे समाज को तोड़ने वाली ताकतों के बहकावे में न आएं…”

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