बेमेतरा:--अक्षय तृतीया को लोगों ने धूमधाम से व् पारंपरिक रूप से मनाया। देव लगन होने की वजह से गोधूलि बेला के शुभ मुहूर्त में खूब पाणिग्रहण व् शादियां हुईं। जिधर देखो उधर बारात की परघनी होती रही। वहीं कई लोग सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए चुलमाटी के लिए बैंड बाजे के साथ आतिशबाजी करते दिखे।
मटके का ठंडा पानी पीएंगे आज से
दूसरी ओर दोपहर में लाल मटका व आम की पूजा, चना दाल के साथ घरों में लोगों ने विधि विधान से पूजा किया। बताया जाता है कि आज से पूजा पश्चात मटके का ठंडा पानी पीना प्रारंभ करते हैं। ग्रामीण इलाकों में आज भी यह दस्तूर चल रहा है लेकिन शहरों में फ्रिज के उपयोग से गर्मी प्रारंभ होते ही ठन्डे पानी पीने लगे हैं।क्षेत्रों में गुड्डा - गुड़िया तथा मटके की दुकानें सजी हुई थीं। जिसे लोगों ने खरीद कर लाए और गुड़िया का शाम को घरों के सामने रखकर विवाह की रस्मे पूरी की। पड़ोस के लोगों खासकर महिलाओं ने टिकावन के रूप में दूह्ला दुह्लन रूपी गुड्डा गुड़िया में पीला चावल छिड़ककर रुपया पैसा चढ़ाएं।
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कोदवा व् आस-पास के क्षेत्रों में गुड्डे-गुड़िया का किया टीकावन
आस-पास के क्षेत्रों में अक्षय तृतीया यानी अक्ति का त्योहार धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर बच्चों ने घर के बड़े बुजुर्गों की देखरेख में गुड्डे - गुड़ियों की शादी रचाई। साथ ही बकायदा मंडप, बाराती-परघनी, सातफेरा, टिकावन और विदाई की परंपरा का पालन किया गया। क्षेत्र के उतरा साहू, धनबाई, ललिता, उषा वर्मा, आरती, ललिता सेन, रिंकी, आस्था निषाद, उर्वशी साहू, छोटी, लक्ष्मी साहू, पायल साहू, मधु साहू, नीलमणी साहू आदि के उपस्थिति मे गुड्डे गुड़ियों का विवाह सम्पन्न हुआ। बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए परिवारजन व मुहल्ले वासी भी पहुंचे और दूह्ला-दुह्लन (गुड्डे-गुड़िया) को पीले चावल का तिलक लगाते हुए टिकावन भेंट किया। चहकते बच्चो ने उन्हें मिठाई आदि खिलाई।
edit by - akash tamrakar
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अपना किमती समय देने के लिये
धन्यवाद