मध्यप्रदेश में 14 सालों तक कलेक्टर रहे जोगी
एमपी में 14 सालों तक लगातार कलेक्टर की भूमिका में रहने वाले अजीत जोगी ने 6 जून 2016 को अपनी नई पार्टी की घोषणा कर दी। एक वक़्त ऐसा था जब जोगी ने एक एक्सीडेंट में अपना पैर गंवा दिया था। जून 2004 में चुनाव प्रचार के दौरान अजीत जोगी का एक्सीडेंट हो गया इसके बाद उनके पैर में गंभीर चोटें आई थीं और वे चलने में अक्षम हो गए थे। इसके बाद न्यूजीलैंड से स्पेशल आर्डर पर उनका रोबोटिक पैर बनकर आया था। इस पैर को बनाने के पहले मुंबई में उनके लेग्स का ट्रायल हुआ था। जिसमें न्यूजीलैंड के डाक्टर शामिल थे। जिसके लिए एक खास व्हील चेयर तैयार की गई थी। बैटरी से चलने वाले इन पैरों की कीमत करीब 1 करोड़ है।
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रायपुर में भी कलेक्टर का पद मिला, जो शुक्ला बंधुओं के प्रभाववाला क्षेत्र था। सीधी पोस्टिंग रही, जो अर्जुन सिंह का क्षेत्र था। वहां उनकी नजदीकियां हो गईं। ग्वालियर में भी कलेक्टर रहते हुए उनकी नजदीकियां माधवराव सिंधिया घराने से हो गई थी। रायपुर में कलेक्टर थे, उस समय राजीव गांधी के संपर्क में आ गए। जब राजीव गांधी रायपुर रुकते थे तो एयरपोर्ट पर जोगी खुद उनकी आवभगत के लिए पहुंच जाते थे। बताया जाता है कि इस खातिरदारी ने उन्हीं राजनीतिक की टिकट दिला दी। कांग्रेस प्रवक्ता रहने के साथ ही जोगी दो बार राज्यसभा के सदस्य बने।
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1998 में रायगढ़ से चुनाव लड़कर पहली बार लोकसभा पहुंचे। लेकिन, 1999 में वे शहडोल से चुनाव हार गए थे। नवंबर 2000 में छत्तीसगढ़ गठन के दौरान उनके राजनीतिक केरियर में बड़ा बदलाव आया और उन्हें छघ के पहले मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला। अपने तेवरों और विवादों के कारण वे सबसे चर्चित सीएम भी रहे। बीजेपी से रमन सिंह के सत्ता में आने के बाद उन पर सरकार गिराने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगा। वर्ष 2005 में उन्हें इन्हीं आरोपों के चलते कांग्रेस ने निलंबित किया।
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अपना किमती समय देने के लिये
धन्यवाद