पटना । बिहार में 37 साल की पुलिस की नौकरी में 64 एनकाउंटर करने वाले रिटायर डीएसपी कृष्ण चंद्रा ने लाइसेंसी पिस्टल से गोली मारकर खुदकुशी कर ली। राज्य में चंद्रा एनकाउंटर स्पेशलिस्ट इंस्पेक्टर के नाम से चर्चित थे। उन्होंने परिवार और पुलिस महकमे के लिए एक सुसाइड नोट छोड़ा है, इसमें डीएसपी चंद्रा (68 साल) ने गंभीर डिप्रेशन का शिकार होने का जिक्र किया। वे 16 साल से बीमारी का इलाज करा रहे थे, लेकिन इससे उबर नहीं पाए।
चंद्रा ने पत्नी और तीन बच्चों के नाम नोट में लिखा है- मुझे माफ कर देना। डिप्रेशन के कारण महीनों से सोया नहीं हूं। अब मुझसे यह दुख बर्दाश्त नहीं हो रहा। इसलिए मैं यह कदम उठाने पर मजबूर हूं। छोटे बेटे बंटी को लिखा है कि तुम्हे एसबीआई ब्रांच जाकर मेरी पेंशन बंद करवानी होगी। मां की पेंशन चालू करवानी होगी। मेरा मोबाइल चालू रखना होगा क्योंकि बैंक, गैस, बिजली और इनकम टैक्स के लिए यह जरूरी है।
वहीं, बेउर थानेदार को संबोधित करते हुए लिखा- मैं पिछले 16 साल से गंभीर मानसिक तनाव का शिकार हूं। काफी इलाज करवाया पर सभी बेअसर रहा। कॉलोनी के संतोष सिन्हा की प्रताड़ना के कारण मेरा डिप्रेशन चरम पर पहुंच गया। उनकी प्रताड़ना के कारण आत्महत्या कर रहा हूं।
चंद्रा को ड्यूटी पर 2 बार गोली लगी पर बच गए
डीएसपी चंद्रा बेउर थाना के मित्रमंडल कॉलोनी फेज-2 में रहते थे। वे एसटीएफ के डीएसपी रहे। सोनपुर में रेल डीएसपी से 2012 में रिटायर हुए। उन्हें ड्यूटी के दौरान 2 बार गोली भी लगी पर बच गए थे। उनके बेटे बंटी ने बताया कि मंगलवार सुबह मां नीचे थी। मैं पापा के बेड रूम के बगल वाले कमरे में था। करीब 8 बजे गोली चलने की आवाज सुनाई दी। पापा के रूम में गए तो देखा कि वे फर्श पर पड़े थे। पास में उनकी पिस्टल पड़ी थी।
जहां भी पोस्टिंग रही, अपराधियों से लोहा लिया
चंद्रा के दोस्त रिटायर्ड डीएसपी अंजनी कुमार सिन्हा ने बताया- 1975 में मेरे साथ ही दारोगा बहाल हुए। चंद्रा 1985 में इंस्पेक्टर और 1998 में डीएसपी बने। उनकी जहां भी पोस्टिंग रही, अपराधियों से लोहा लिया। वे गरीबों के मददगार थे। जुल्म का शिकार कोई गरीब उनके पास आता तो वे फौरन एक्शन में आते थे। वे गरीबों के साथ धरने पर भी बैठ जाते थे। कई बच्चियों की शादी कराई और गरीब बच्चों को किताबें बांटी थीं।
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अपना किमती समय देने के लिये
धन्यवाद