गरियाबंद /अमलीपदर, निक्की ताम्रकार । लगातार नौ दिनों तक मौसी के घर मेहमान रहने के बाद बुधवार देवशयनी एकादशी को भगवान जगन्नाथ मंदिर लौटे। माता लक्ष्मी को बिना बताए घर से निकलने के कारण उन्हें देवी को मनाने उपहार लेकर मंदिर पहुंचना पड़ा। उपहार लेने के बाद ही माता ने उन्हें गर्भगृह में स्थान दिया। इसके साथ ही अमलीपदर का पारंपरिक गोंचा महोत्सव संपन्न हो गया है
करोना वायरस संक्रमण के चलते इस बार गोंचा महापर्व मनाने शुरू से ही असमंजस की स्थिति रही परंतु लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंस आदि नियमों के चलते रथ खींचने में मनाही रही। गोंचा मनाने की अनुमति जिला प्रशासन ने पूजा आरती करने दी थी। वह भी सीमित लोगों की उपस्थिति में। बताते चलें कि अमलीपदर में यह महापर्व कई वर्ष से लगातार मनाया जा रहा है।
पिछले नौ दिनों तक भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ जनकपुर में ठहरे थे। बुधवार शाम पांच बजे रथारूढ़ होकर वे मंदिर लौटे। यहां द्वार पर ही माता लक्ष्मी और उनकी सेविकाओं ने रास्ता रोक लिया। परंपरानुसार भगवान जगन्नाथ और माता लक्ष्मी के प्रतिनिधियों द्वारा उड़िया भाषा में संवाद हुआ।
अंत में जब भगवान ने माता लक्ष्मी को उपहार भेंट किए। तब उन्हें गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति मिली। भगवान के विग्रहों को मंदिर में विराजित करने के बाद महाआरती की गई। इसके साथ ही भगवान चातुर्मास (चार महीने के विश्राम) पर चले गए। अब वे नवंबर माह की देवउठनी एकादशी पर ही जाएंगे। इधर सादगीपूर्ण भितरभीजी गोंचा सम्प्पन हुआ।
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अपना किमती समय देने के लिये
धन्यवाद