नई दिल्ली : तकरीबन 20 महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र ने जिस हाईस्पीड इंटरनेट प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी… आखिरकार आज वो दिन आ गया जब पीएम मोदी ने इसका उद्घाटन किया… इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “आज का दिन अंडमान-निकोबार के दर्जनों द्वीपों में बसे लाखों साथियों के लिए तो अहम है ही, पूरे देश के लिए भी महत्वपूर्ण है।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “नेता जी सुभाषचंद्र बोस को नमन करते हुए, करीब डेढ़ वर्ष पहले मुझे सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल कनेक्टिविटी परियोजना के शुभारंभ का अवसर मिला था… मुझे खुशी है कि अब इसका काम पूरा हुआ है और आज इसके लोकार्पण का भी सौभाग्य मुझे मिला है।”
समंदर के अंदर इंटरनेट
अंडमान-निकोबार को इंटरनेट के नए युग से जोड़ने का काम पूरा हो चुका है… भारत ने अपने दम पर चेन्नई से पोर्ट ब्लेयर के बीच अंडर-Sea केबल लिंक तैयार कर लिया है… यानी अब समुद्र के भीतर ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने के लिए उसे किसी और देश की जरूरत नहीं है।
2,300 KM लंबा केबल लिंक
चेन्नई से अंडमान निकोबार की राजधानी पोर्ट ब्लेयर के बीच यह सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाई गई है… इसकी लंबाई 2,300 किलोमीटर है… इस केबल की वजह से भारतीय द्वीपों तक बेहतर इंटरनेट कनेक्टिविटी सुलभ हो सकेगी… पोर्ट ब्लेयर को स्वराज द्वीप, लिटल अंडमान, कार निकोबार, कमोरटा, ग्रेट निकोबार, लॉन्ग आइलैंड और रंगत को भी जोड़ा जा सकेगा…
टोटल 400 Gbps की स्पीड
यह केबल लिंक चेन्नई और पोर्ट ब्लेयर के बीच 2×200 गीगाबिट पर सेकेंड (Gbps) की बैंडविड्थ देगा। पोर्ट ब्लेयर और बाकी आइलैंड्स के बीच बैंडविड्थ 2×100 Gbps रहेगी।
40 हजार गाने सेकेंड्स में डाउनलोड
इन केबल्स के जरिए अधिकतम 400 Gbps की स्पीड मिलेगी। यानी अगर आप 4K में दो घंटे की मूवी डाउनलोड करना चाहें जो करीब 160 GB की होगी तो उसमें बमुश्किल 3-4 सेकेंड्स लगेंगे। इतने में ही 40 हजार गाने डाउनलोड किए जा सकते हैं।
समुद्र के भीतर कैसे बिछाई जाती हैं केबल…?
समुद्र में केबल बिछाने के लिए खास तरह के जहाजों का इस्तेमाल किया जाता है… ये जहाज अपने साथ 2,000 किलोमीटर लंबी केबल तक ले जा सकते हैं, जहां से केबल बिछाने की शुरुआत होती है… वहां से एक हल जैसे उपकरण का उपयोग करते हैं जो जहाज के साथ-साथ चलता है।
पहले केबल के लिए बनाई जाती है जगह
समुद्र में एक खास उपकरण के जरिए फ्लोर पर केबल के लिए जमीन तैयार की जाती है… इसे समुद्रतल पर जहाज के जरिए मॉनिटर करते हैं… इसी से केबल जुड़ी होती हैं। साथ-साथ केबल बिछाई जाती रहती है।
फिर डाला जाता है रिपीटर
टेलिकॉम केबल्स बिछाने के दौरान रिपीटर का यूज होता है जिससे सिग्नल स्ट्रेंथ बढ़ जाती है… अगर दो केबल्स को आपस में क्रॉस कराना है तो उसके लिए फिर से वही प्रक्रिया अपनाई जाती है जो दूसरे स्टेप में अपनाई गई थी।
फिर केबल के एंड को करते हैं कनेक्ट
जहां केबल को खत्म होना होता है, वहां सी फ्लोर से केबल को उठाकर ऊपर लाते हैं… आखिर में रिमोटली ऑपरेटेड अंडरवाटर व्हीकल (ROV) के जरिए पूरे केबल लिंक का इंस्पेक्शन किया जाता है कि कहीं कोई चूक तो नहीं हुई।
केबल की सुरक्षा के लिए आखिरी स्टेप
सबसे आखिर में केबल शिप के जरिए यह चेक किया जाता है कि केबल सी-बेड यानी समुद्र की सतह पर ठीक से बिछी है या नहीं? चूंकि समुद्र की सतह भी पहाड़ और खाइयां होती हैं…इसलिए यह चेक करना बहुत जरूरी है वर्ना दबाव बढ़ने पर केबल टूट भी सकती है।
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अपना किमती समय देने के लिये
धन्यवाद