अच्छी खबर : नक्सली भाई ने रक्षाबंधन पर बहन को दिया मुंह मांगा उपहार, सरेंडर कर थाने में ही बंधवाया रक्षासूत्र, बहन ने कहा था- सरेंडर करोगे तभी राखी बांधूंगी

Naxal Brother Surrender TCP NEWS

 दंतेवाड़ा । भाई बहन के बीच का प्यार अटूट होता है। इसका जीता जागता उदाहरण पेश किया है नक्सलियों के गढ़ कहे जाने वाले दंतेवाड़ा के एक आत्मसमर्पित माओवादी ने। पिछले 12 साल से नक्सलियों के साथ मिलकर काम कर रहे मल्ला ने यह साबित कर दिया कि उसके लिए उसके परिवार की खुशी से ज्यादा और कुछ नहीं।

कई बड़े नक्सली वारदातों में शामिल मल्ला ने अपने बहन के कहने पर माओवादियों का साथ छोड़ दिया। 22 साल के मल्ला ने पुलिस के सामने सरेंडर किया है। 12 साल पहले मल्ला का चाचा उसे अपने साथ ले गया था। उसके हाथों में उसने हथियार थमा दिए।

जब वह राखी मनाने के लिए घर लौटा तो बहन लिंगे ने कहा कि राखी तब बांधूंगी, जब सरेंडर करोगे। काफी सोचने के बाद मल्ला ने सरेंडर कर दिया और लिंगे ने अपने भाई को थाने में ही राखी बांधी, आरती उतारी, मिठाई खिलाई और लंबी उम्र की कामना की।

मल्ला कई बड़ी वारदातों में शामिल रहा है। पुलिस ने उस पर 8 लाख का इनाम रखा था। वह लंबे समय से छिपता फिर रहा था। बहन को उसके एनकाउंटर का डर सताता रहता था। वह चाहती थी कि उसके भाई और परिवार को इस दहशत से निजात मिले।

एक और बहन ने की सरेंडर की अपील

 5 लाख की इनामी नक्सली दशमी ने करीब 20 दिन पहले जगदलपुर में सरेंडर किया था। उसने भी अपने भाई लक्ष्मण से अपील की है कि वह भी सरेंडर कर दे। दशमी ने कहा कि शादी के 6 महीने बाद पति वर्गीस एनकाउंटर में मारे गए। अब भाई को नहीं खोना चाहती, वह माचकोट में कमांडर है। दशमी ने बताया कि वे 2011 में और भाई 2016 में नक्सल संगठन में शामिल हुआ था।

भाई भी बहनों को सरेंडर के लिए कह रहे

 मार्च में सुकमा पुलिस के सामने सरेंडर करने वाले बादल ने कहा कि मेरी इकलौती बहन जोगी कड़तामी एसीएम है। वह नक्सल लीडर देवा के साथ काम कर रही है। उसे कहूंगा कि रक्षाबंधन के समय सरेंडर करके वह भी मुख्यधारा में शामिल हो जाए। मिलकर राखी मनाएंगे। जोगी 2014 में नक्सल संगठन में शामिल हुई थी। इन दिनों पुलिस भी लोन वर्राटू के नाम से अभियान चला रही है, जिसमें भटके हुए नक्सलियों को वापस मुख्यधारा में लाया जा रहा है।

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