शैक्षिक नवाचार : पर्यावरण शिक्षा – बर्ड वाचिंग पर्यावरण संरक्षण से जोड़ने का अभिनव प्रयास

हाईस्कूल छात्रों ने बर्ड वाचिंग करने किया नदी तालाब बाड़ी की सैर 
अनुकरणीय नवाचारी पहल ताकि प्रकृति से सीख सकें बच्चे

वैसे तो शिक्षा का क्षेत्र नवाचार और रचनात्मकता से भरा हुआ है | बात जब पर्यावरण की करें तो वृक्षारोपण, जल संरक्षण , प्रदूषण जैसे कुछ चंद वाक्यों में पूरा पर्यावरण को सिमट दिया जाता है | वहीँ दूसरी तरफ स्कूल में बच्चे यह सोच भी नहीं सकते कि कक्षा की सीमा से परे और पाठ्यपुस्तक से बाहर भी सीखने को है | विशेष रूप से प्रकृति की गोद में | आज हम एक ऐसे ही स्कूल और शिक्षक की बात बताने वाले हैं जो प्राकृतिक पर्यावरण को सीखने का माध्यम चुना है | बेमेतरा जिला मुख्यालय से दूर खारुन नदी किनारे बसा है ग्राम भरदा | यहाँ हाईस्कूल के छात्र नियमित पढाई के साथ पर्यावरण शिक्षा से भी लाभान्वित हो रहे है | विगत दिनों शिक्षक व्याख्याता विकेश कुमार के मार्गदर्शन में छात्र बर्ड वाचिंग कार्यक्रम का हिस्सा बनकर प्रकृति को करीब से समझने का प्रयास किया | जिसमें शाला प्रबंधन समिति, शिक्षक, पालक और ग्रामवासियों का भी भरपूर सहयोग मिला |

सिखाने के लिए स्कूल के बाहर नए अवसर को अपनाया गया -

इस कार्यक्रम के तहत छात्रों को गाँव के नदी किनारे , तालाब, खेत-खलिहान , बाड़ी- बगीचे का सैर कराया गया | जिसके दौरान स्थानीय पक्षियों के विभिन्न प्रजातियों के बारे में जानने और निरीक्षण का मौका मिला | छात्रों को कैमरा उपलब्ध कराया गया जिसके माध्यम से उन्होंने फोटोग्राफी सीखने का भी लाभ उठाया | पैदल चलते -चलते मार्ग में चर्चा –परिचर्चा ,बातचीत हुआ जिसमे छात्र एक दूसरे की शंका समाधान करते नजर आये | शाला प्रबंधन विकास समिति अध्यक्ष पन्नालाल परगनिहा ने अपने बाड़ी में ले जाकर पक्षियों की अनेक प्रजातियों पर को पास से देखने और पहचानने में सहायता किया | उन्होंने फूल चूसनेवाले और खंजन पक्षी को दिखा कर उसके बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दिया | 

पर्यावरण शिक्षा : बात-बात में सीखने को मिलता है – 
पर्यावरण शिक्षा सभी विषयों के उद्देश्यों की प्राप्ति संभव है | अवलोकन , निरिक्षण , चर्चा , संवाद, तुलना करना , तार्किक चिंतन , पहचान करना , टीम वर्क , सहयोग , अभिव्यक्ति विकास बिना किसी बाधा के होते जाता है | आपसी बातचीत और पूछताछ के दौरान कोई भाषाई रुकावटें या अडचने नहीं आती बल्कि छात्र -शिक्षक भयमुक्त सम्बन्ध के कारण छात्रों को स्वतंत्र होकर सीखने के लिए प्रेरित करता है | सबसे खास बात है कि बच्चे घर पर भी पालकों के संरक्षण में इन गतिविधियों को कर सकते हैं और उनका सीखना जारी रहता है |

पक्षी देख हुए रोमांचित  – 

बर्ड वाचिंग के दौरान छात्र गौरय्या , कबूतर , कौआं ,नीलकंठ , कोकड़ा, बगुला ,पडकी, सलहई जैसे गाव में आबादी के आस-पास आसानी से दिखने वाले पक्षी के अलावा हुदहुद, हरा-पत्रिंगा , गिद्ध, चील, जैसे यदाकदा दिखने वाले पक्षी भी देखे | मैना, कोयल, उल्लू, बनकुकरी, कैंची- फाक, तितर, दबकुल , नाकड भी छात्रों के चर्चा का विषय बने | बहुत से पक्षियों को छात्र स्थानीय नाम से जानते और पुकारते है घाघर चिरई , रेरा , राम चिड़िया ,सरकारी कोकड़ा , कला चोंच वाला बगुला ,परेवा, पनडुब्बी अनेक नाम है जो पक्षी निरीक्षण में छात्रों के बीच खूब लोकप्रिय रहे | 

पालक –बालक -शिक्षक सभी का योगदान रहा  -

कार्यक्रम को पालकों , शिक्षकों और ग्रामवासियों ने भी पसंद किया है | वे छात्रो के पर्यावरण के प्रति जिज्ञासा और रोमांच को देख कर खुश हुए | बर्ड वाचिंग कार्यक्रम में ईको-क्लब और बाल संसद के सदस्य दुर्गेश कुमार , सेवन्तीन , हेमंत कुमार, प्रियंका, पायल, अमन कुमार , टिकेन्द्र कुमार, चांदनी, आँचल यदु, भुनेश्वरी, कमलेश्वरी, मीनाक्षी, रानी, डुगेश कुमार, भीम सिंह, गुलशन और व्याख्याता संतोष कुमार परगनिहा , उषा यादव, सीमा मिश्र और अंजली वर्मा का सक्रीय योगदान रहा | 
 
छात्रों को मिला प्रोजेक्ट कार्य : आपने क्या सीखा  -

छात्रों ने अपने अवलोकन को रिकार्ड भी किया जिसके आधार पर शिक्षक विकेश कुमार ने छात्रों को विविध गतिविधि और समूह कार्य के तहत पक्षियों और सैर करते हुए कक्षा मुक्त पढाई के सम्बन्ध में हस्त- पुस्तिका तैयार करने का कार्य दिया गया | शिक्षक के नवाचारी प्रयोग से छात्र और पालकों में उत्साह है ऐसे अनुकरणीय पहल को दूसरे स्कूलों में लागू किया जाना चाहिए | 

नवाचारी शिक्षक का परिचय –

विकेश कुमार यादव व्याख्याता के रूप में कार्यरत हैं जो बेमेतरा जिला के लिए मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव सम्मान पहले शिक्षक हैं | वे राज्य शिक्षक सम्मान राज्यपाल पुरस्कार 2021 के लिए भी नामांकित है और मुख्यत शैक्षिक नवाचारी और शिक्षा में तकनिकी के प्रयोग के लिए जाने जाते हैं | वे राज्य पाठ्यचर्या फ्रेमवर्क के पर्यावरण शिक्षा के लिए राज्य फोकस समूह सदस्य भी हैं | और अनेक एन जी ओ के साथ तालमेल रखते हैं | जिनसे मिला लाभ स्कूल और छात्रों को मिलता है |

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