ये हैं वो पांच जज, जिन्‍होंने ऐतिहासिक अयोध्या विवाद में सुनाया फैसला


क्या आप जानते हैं कि इस ऐतिहासिक अयोध्या विवाद मामले में फ़ैसला सुनाने वाले ये पांच जज कौन हैं?



1 - जस्टिस अब्दुल नज़ीर (Justice Abdul Nazeer)

जस्टिस नजीर का जन्म 5 जनवरी 1958 को कर्नाटक के कनारा में हुआ. यह कर्नाटक का तटीय इलाका है. जस्टिस नजीर पांच भाई-बहन हैं. उन्होंने मुवेदीद्री के महावीर कॉलेज में अपनी बी कॉम की डिग्री पूरी की. जस्टिस नजीर ने एसडीएम लॉ कॉलेज कोडियालबेल, मंगलुरु से कानून की डिग्री हासिल की है.
नजीर ने 18 फरवरी 1983 में बेंगलुरु में कर्नाटक उच्च न्यायालय में एक वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया. जस्टिस नजीर को मई 2003 में कर्नाटक उच्च न्यायालय में ही अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया. 17 फरवरी, 2017 को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज कार्यभार संभाला.


2 - जस्टिस रंजन गोगोई, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (Chief Justice of India Ranjan Gogoi)
Ayodhya Verdict, जानिए कौन हैं वो पांच जज, जिन्‍होंने ऐतिहासिक अयोध्या विवाद में सुनाया फैसला

पांच सदस्यीय संविधान पीठ की अगुवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई कर रहे हैं. गोगोई ने 3 अक्टूबर 2018 को बतौर मुख्य न्यायधीश पदभार ग्रहण किया था. 18 नवंबर, 1954 को जन्मे जस्टिस रंजन गोगोई ने 1978 में बार काउंसिल ज्वाइन की  थी. उन्होंने शुरुआत गुवाहाटी हाई कोर्ट से की, 2001 में गुवाहाटी हाई कोर्ट में जज भी बने.
इसके बाद वह पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में बतौर जज 2010 में नियुक्त हुए, 2011 में वह पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने. 23 अप्रैल, 2012 को जस्टिस रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट के जज बने. बतौर चीफ जस्टिस अपने कार्यकाल में कई ऐतिहासिक मामलों को सुना है, जिसमें अयोध्या केस, NRC, जम्मू-कश्मीर पर याचिकाएं शामिल हैं.

3 - जस्टिस अशोक भूषण (Justice Ashok Bhushan)

जस्टिस अशोक भूषण का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर में हुआ था. वह सन 1979 में यूपी बार काउंसिल का हिस्सा बने, जिसके बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस की. साल 2001 में वह बतौर जज नियुक्त हुए. 2014 में वह केरल हाई कोर्ट के जज नियुक्त हुए और 2015 में चीफ जस्टिस बने. 13 मई 2016 को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में कार्यभार संभाला.

 4 - जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े (एस.ए. बोबड़े- Justice SA Bobde)

इस पीठ में दूसरे जज जस्टिस एस. ए. बोबड़े हैं. इनका पूरा नाम जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े हैं. न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोबडे को देश का 47वां प्रमुख न्यायाधीश नियुक्त किया गया है. वह 18 नवंबर को प्रमुख न्यायाधीश पद की शपथ ग्रहण करेंगे. न्यायमूर्ति बोबडे 23 अप्रैल, 2021 तक देश के प्रमुख न्यायाधीश रहेंगे. जस्टिस बोब्डे ने आधार प्रकरण सहित अनेक महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की है.
1978 में उन्होंने बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र को ज्वाइन किया था. इसके बाद बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में लॉ की प्रैक्टिस की, 1998 में वरिष्ठ वकील भी बने. साल 2000 में उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में बतौर एडिशनल जज पदभार ग्रहण किया. इसके बाद वह मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने और 2013 में सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज कमान संभाली.

5 - जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud)

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ जाने माने चीफ़ जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ (जस्टिस यशवंत विष्णु चंद्रचूड़) के बेटे हैं. वाईवी चंद्रचूड़ पांच जजों वाली बेंच के उन चार जजों में से एक थे जिन्होंने तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा इमरजेंसी लगाने को सही ठहराया था.
अगस्त 2017 में निजता के अधिकार के फैसले में जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने अपने पिता के चर्चित एडीएम जबलपुर केस में उस फैसले को पलटा था जिसमें कहा गया था कि इमरजेंसी के दौरान नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है.
धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि चार जजों द्वारा दिए गए उस फैसले में कमियां थीं. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता व्यक्ति के अस्तित्व से जुड़ी हुई चीजें हैं जिन्हें छीना नहीं जा सकता.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ दुनिया की कई बड़ी यूनिवर्सिटियों में लेक्चर दे चुके हैं. बतौर जज नियुक्त होने से पहले वह देश के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रह चुके हैं. वह सबरीमाला, भीमा कोरेगांव, समलैंगिकता समेत कई बड़े मामलों में पीठ का हिस्सा रह चुके हैं.
सन 1985 में पिता जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ ने व्यभिचार की धारा को बरकरार रखा था और कहा था कि यह असंवैधानिक नहीं है. वहीं बेटे जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि यह कानून असंवैधानिक है और रद्द किया जाता है.
158 साल पुराने कानून IPC 497 (व्यभिचार) की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो भी सिस्टम महिला को उसकी गरिमा के विपरीत या भेदभाव करता है वह संविधान के कोप को आमंत्रित करता है. कोर्ट ने कहा कि जो प्रावधान महिला के साथ गैरसमानता का बर्ताव करता है वह असंवैधानिक है.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज का पदभार संभाला था. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट में आने से पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं. वहीं बॉम्बे हाई कोर्ट में भी वह बतौर जज रह चुके हैं. (TV9|भारतवर्ष)


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