रायपुर,कुनाल राठी। काॅन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के कार्यकारी अध्यक्ष मंगेलाल मालू, विक्रम सिंहदेव, महामंत्री जितेंद्र दोशी, कार्यकारी महामंत्री परमानंद जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं प्रवक्ता राजकुमार राठी, ने बताया कि देश में कोविड महामारी के वर्तमान गंभीर समय में जब सभी सावधानियों के बावजूद कोरोना बढ़ रहा है के मद्देनजर कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को आज भेजे गए एक पत्र में कहा है कि अनेक रिपोर्ट के अनुसार करेंसी नोट्स संक्रामक रोगों के वाहक हैं औ यह बेहद चिंता का विषय है कि क्या करेंसी नोटों के जरिये कोरोना वायरस फैल सकता है।
कैट ने कहा की करेंसी नोट विभिन्न लोगों की एक अनजान श्रंखला के माध्यम से लोगों तक पहुँचते है, ऐसे में क्या इनके जरिये भी कोरोना फैल सकता है, इस पर सरकार को एक प्रामाणिक स्पष्टीकरण जारी करना चाहिए ।
कैट ने सवाल करते हुए कहा की क्या करेंसी नोट संक्रामक रोगों के वाहक हैं और यदि हैं तो इससे बचने के क्या निवारक और सुरक्षा उपाय हैं । न केवल व्यापारियों के लिए बल्कि देश के लोगों के लिए भी यह जानकारी बेहद फायदेमंद सिद्ध होगी जिससे मुद्रा नोटों के माध्यम से कोरोना फैलाने की किसी भी संभावना पर रोक लगाई जा सके।
कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने कहा कि संक्रामक रोगों
को फैलाने में सक्षम मुद्रा नोटों का मुद्दा कुछ वर्षों से बेहद चिंता का
कारण बना हुआ है क्योंकि सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी में विभिन्न
अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय रिपोर्टों में इस बात की पुष्टि की गई है।
अज्ञात लोगों के बीच करेंसी नोटों का लेन-देन होने के कारण विभिन्न वायरस
और संक्रमणों के लिए करेंसी नोटों को बेहद घातक बताया गया है और इस तरह यह
स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा दिखाई देता है।
कैट ने इस सम्बन्ध में डॉ हर्षवर्धन का ध्यान तीन रिपोर्टों की और
दिलाया है जो करेंसी नोटों को वायरस के वाहक के रूप में साबित करती हैं ।
इस सन्दर्भ में कैट ने कहा कि किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ द्वारा
वर्ष 2015 के एक अध्ययन से पता चला है कि 96 बैंक नोटों और 48 सिक्कों का
लगभग पूरा नमूना वायरस, फंगस और बैक्टीरिया से दूषित था जबकि 2016 में
तमिलनाडु में किए गए एक अध्ययन में 120 से अधिक नोट डॉक्टरों, गृहिणियों,
बाजारों, कसाई, क्षेत्रों से एकत्र किये गए जिसमें से 86.4 प्रतिशत नोट
संक्रमण से ग्रस्त थे । वहीं वर्ष 2016 में कर्नाटक में हुए एक अध्ययन की
रिपोर्ट में 100 रुपये, 50 रुपये, 20 और 10 रुपये के नोटों में से 58 नोट
दूषित थे।
भारत में करेंसी नोटों के अधिक उपयोग के कारण व्यापारियों के माध्यम से करेंसी नोटों का बड़ा उपयोग होता है और कौविड महामारी के वर्तमान समय में इससे व्यापारियों के संक्रमण ग्रस्त होने की संभावनाएं ज्यादा हैं, क्योंकि अज्ञात व्यक्तियों की अप्रमाणित श्रृंखला के बीच मुद्रा का प्रचलन बेहद अधिक है।
इसलिए न केवल व्यापारियों के लिए बल्कि देश के बड़े हित में इस गंभीर मुद्दे पर सरकार का एक स्पष्टीकरण बेहद जरूरी है और अगर यह वास्तव में एक वायरस वाहक है, तो कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए निवारक उपायों को अपनाना बहुत आवश्यक है
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अपना किमती समय देने के लिये
धन्यवाद